कक्षा 10 की एनसीईआरटी हिंदी पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग 2" में शामिल "संस्कृत" लेख भदन्त आनंद कौसल्यायन द्वारा लिखा गया एक महत्वपूर्ण लेख है। भदन्त आनंद कौसल्यायन एक प्रमुख भारतीय बौद्ध विद्वान और लेखक थे, जिन्होंने हिंदी और संस्कृत साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
"संस्कृत" लेख में भदन्त आनंद कौसल्यायन ने संस्कृत भाषा और उसकी महत्वता पर प्रकाश डाला है। उन्होंने संस्कृत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और शैक्षिक महत्व को विस्तार से वर्णित किया है।
लेख में संस्कृत को एक प्राचीन और समृद्ध भाषा के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो भारतीय संस्कृति और साहित्य की नींव है। लेखक ने संस्कृत के अध्ययन और प्रसार के महत्व को समझाया है और इसके संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया है।
भदन्त आनंद कौसल्यायन ने इस लेख के माध्यम से यह संदेश दिया है कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता और ज्ञान का अमूल्य हिस्सा है। संस्कृत की शिक्षा और अभ्यास से न केवल हमें भारतीय संस्कृति की गहराई समझने में मदद मिलती है, बल्कि यह हमारे साहित्यिक और शैक्षिक विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
"संस्कृत" लेख का महत्त्व इस बात में है कि यह भारतीय भाषाओं और संस्कृतियों के प्रति छात्रों के दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है। भदन्त आनंद कौसल्यायन की यह रचना छात्रों को संस्कृत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को समझने के लिए प्रेरित करती है और यह भी दर्शाती है कि कैसे संस्कृत भाषा के अध्ययन से भारतीय साहित्य और संस्कृति की गहराई को समझा जा सकता है। यह लेख भारतीय भाषाओं और उनके संरक्षण के महत्व पर जोर देता है और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने के प्रति जागरूकता पैदा करता है।